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Gaay Aur Bhains Mein Krtrim Garbhaadhaan EvaM Prabandhan

Gaay Aur Bhains Mein Krtrim Garbhaadhaan EvaM Prabandhan


$ 12

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Editor(s):Brijesh Kumar, Brijesh Kumar Yadav, Nikhil Paal Bajiya, Vandana, MH Khan, Roopsee TiwarI
Paperback ISBN:978-93-6135-775-6
Publisher:AkiNik Publications
Language:English
Pages:223
Publication Year:2024
Binding:Paperback
DOI:https://doi.org/10.22271/ed.book.2596
Amazon:Amazon

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Indexed in Crossref Indexed in Dimensions Indexed in Research Access

Description

कृत्रिम विधि से नर पशु से वीर्य एकत्रित करके मादा पशु की प्रजनन नली में रखने की प्रक्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहते हैं| भारत वर्ष में सन् 1937 में पैलेस डेयरी फार्म मैसूर में कृत्रिम गर्भाधान का प्रथम प्रयोग किया गया था| आज सम्पूर्ण भारत वर्ष तथा विश्व में पालतू पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की विधि अपनायी जा रही है| चूने हुए अच्छे नस्ल के सांड में से सांड से कृत्रिम विधि द्वारा वीर्य एकत्रित किया जाता है| सांडों को इस कार्य के लिये प्रशिक्षित किया जाता है जिससे कि वह दूसरे अन्य नर पशु अथवा डमी (कृत्रिम पशु) पर चढ़ कर कृत्रिम योनि में वीर्य छोड़ देता है|अधिक होने के कारण आजकल सम्पूर्ण विश्व में ज्यादातर गहन हिम्कृत वीर्य का ही प्रयोग होने लगा है| हिम्कृत वीर्य को प्रयोग करने से पहले इसे सामान्य तापमान पर तरल अवस्था में लाया जाता है| इस क्रिया को थाइंग कहते हैं| इसमें एक बीकर में 37 डि०से० तापमान पर पानी लिया जाता है| हिम्कृत वीर्य के तृण को तरल नत्रजन कन्टेनर से निकल कर बीकर में रखे पानी में 15 से 30 सेकिंड के लिये रखते हैं| इसके बाद तृण को पानी से निकाल कर उसे सुखा लिया जाता है|पशु के मद काल का द्वितीय अर्ध भाग कृ०ग० के लिए उपयुक्त होता है| गर्भाधान के लिए उपयुक्त होता है| गर्भाधान के लिए दूर से लाए लाभ प्रद होता है| पशु पालक को पशु को गर्भाधान के लिए लाते व लेजाते समय उसे डरना या मारना नहीं चाहिए क्योंकि इसे गर्भ धारण की अधिकांश पशुओं में मद च्रक शुरू हो जाता है, लेकिन ब्याने के 50-60 दिनों के बाद ही पशु में गर्भाधान करना उचित रहता है क्योंकि उस समय तक ही पशु का गर्भाशय पूर्णत: सामान्य अवस्था में आ पाता है| प्रसव के 2-3 माह के अंदर पशु को गर्भ धारण कर लेना चाहिए ताकि 12 महीनों के बाद गाय तथा 14 महीनों के बाद भैंस दोबारा बच्चा देने में सक्षम हो सके क्योंकि यही सिद्धांत दुधारू पशु पालन में सफलता की कुंजी है|

Reviews

5.0

1 reviews





Dr. Michael Brown
  November 12, 2024

While thorough, the book sometimes veers into excessive technical detail that may alienate some readers.

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AkiNik Publications Phone: +91-9911215212






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