Description
कृतà¥à¤°à¤¿à¤® विधि से नर पशॠसे वीरà¥à¤¯ à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करके मादा पशॠकी पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ नली में रखने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को कृतà¥à¤°à¤¿à¤® गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ कहते हैं| à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में सनॠ1937 में पैलेस डेयरी फारà¥à¤® मैसूर में कृतà¥à¤°à¤¿à¤® गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया था| आज समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· तथा विशà¥à¤µ में पालतू पशà¥à¤“ं में कृतà¥à¤°à¤¿à¤® गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ की विधि अपनायी जा रही है| चूने हà¥à¤ अचà¥à¤›à¥‡ नसà¥à¤² के सांड में से सांड से कृतà¥à¤°à¤¿à¤® विधि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वीरà¥à¤¯ à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया जाता है| सांडों को इस कारà¥à¤¯ के लिये पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ किया जाता है जिससे कि वह दूसरे अनà¥à¤¯ नर पशॠअथवा डमी (कृतà¥à¤°à¤¿à¤® पशà¥) पर चॠकर कृतà¥à¤°à¤¿à¤® योनि में वीरà¥à¤¯ छोड़ देता है|अधिक होने के कारण आजकल समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° गहन हिमà¥à¤•ृत वीरà¥à¤¯ का ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होने लगा है| हिमà¥à¤•ृत वीरà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने से पहले इसे सामानà¥à¤¯ तापमान पर तरल अवसà¥à¤¥à¤¾ में लाया जाता है| इस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को थाइंग कहते हैं| इसमें à¤à¤• बीकर में 37 डि०से० तापमान पर पानी लिया जाता है| हिमà¥à¤•ृत वीरà¥à¤¯ के तृण को तरल नतà¥à¤°à¤œà¤¨ कनà¥à¤Ÿà¥‡à¤¨à¤° से निकल कर बीकर में रखे पानी में 15 से 30 सेकिंड के लिये रखते हैं| इसके बाद तृण को पानी से निकाल कर उसे सà¥à¤–ा लिया जाता है|पशॠके मद काल का दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अरà¥à¤§ à¤à¤¾à¤— कृ०ग० के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ होता है| गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ होता है| गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ के लिठदूर से लाठलाठपà¥à¤°à¤¦ होता है| पशॠपालक को पशॠको गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ के लिठलाते व लेजाते समय उसे डरना या मारना नहीं चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसे गरà¥à¤ धारण की अधिकांश पशà¥à¤“ं में मद चà¥à¤°à¤• शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है, लेकिन बà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‡ के 50-60 दिनों के बाद ही पशॠमें गरà¥à¤à¤¾à¤§à¤¾à¤¨ करना उचित रहता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस समय तक ही पशॠका गरà¥à¤à¤¾à¤¶à¤¯ पूरà¥à¤£à¤¤: सामानà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ में आ पाता है| पà¥à¤°à¤¸à¤µ के 2-3 माह के अंदर पशॠको गरà¥à¤ धारण कर लेना चाहिठताकि 12 महीनों के बाद गाय तथा 14 महीनों के बाद à¤à¥ˆà¤‚स दोबारा बचà¥à¤šà¤¾ देने में सकà¥à¤·à¤® हो सके कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यही सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त दà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‚ पशॠपालन में सफलता की कà¥à¤‚जी है|